Monday, January 25, 2010

जन्मभूमि पर जुर्म


आज़ादी के 62 साल बाद भी देश के असल हीरो की कोई सुध लेने वाला नहीं है। जिन लोगों ने देश की आजादी के लिए जान गंवायी उनके खानदान में कोई नामलेवा भी नहीं बचा। ऐसे में उन शहीदों की आवाज को आज कौन ज़िदा रखेगा। लोगों से कहिये तो लोग कहते है गढ़े मुर्दे क्यों उखाड़ते हो भाई ? आज़ादी के बाद देश को चलाने वाले तथाकथित ठेकेदारों से कहिये तो कहेगें...वही पुरानी राग..पिछले ठेकेदारों ने गलत किया है हमने तो फलां-फलां जगह संग्राहलय बनावा दिये है...। अभी चंद रोज़ पहले की बात है देश के दिलेर शेर सिंह यानि् शहीद उधम सिंह के संग्राहलय से खास्ता हाल किसी से नहीं छिपा है। वहां के एक स्थानिय पत्रकार ने संग्राहलय से शहीद उधम सिंह की फोटो और कुछ कागज़ात को अपने साथ ले गये ताकि लोगों को पता चलें की देश की खातिर अपनी जान न्योछावर करने वाले के चंद बेशकिमती निशान को भी संभाल कर नहीं रख सकते। ये तो सिर्फ बानगी है ऐसे कितने शहीद आज भी है जिनका देश अपमान कर रहा है। ये अपमान का जुर्म थमेगा भी या यूं ही.....

1 comment:

  1. i really apreciate ur freelance journalism and also for raising this serious issue before the 61th Republic Day that our country is celebrated and to tell the entire nation, for the sake of entire repulic, This is very serious issue, that we forget the bravery done by Sahid Udham Singh.

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