Saturday, March 12, 2011

ऐ ज़िंदगी...

जिन्दगी तुम्हारी हर बात निराली है किसी को याद कर लिया तो कहती हो ये जुर्म है और भुला देना चाहो तो कहती हो और बड़ा जुर्म है दुनिया की तरफ से बेखबर हो जाओ तो कहती हो दुनिया के रंग देखो और जब इस दुनिया के रंग में खुद को रंग देना चाहो तो कहती हो हर तरह गौर से देखना जुर्म है जिन्दगी वाकई तेरी हर इक अदा मुझे जुर्म ही लगती है बेबसी जुर्म है हौसला जुर्म है जिन्दगी तेरी इक इक अदा जुर्म है....